मुड़के देखा बीते लम्हों को तो लौट आई कितनी यादें
गम में मुस्कुराते लब खुशियों में भीगती आँखें
कुछ ज़िम्मेदार होते कंधे कुछ नादान सी चाहतें
बदलती ज़िन्दगी की चौखट पर अपने कदमो की आहटें
कभी उलझे हुए सवाल कभी सुलझी हुई सी बातें
मुड़के देखा बीते लम्हों को तो लौट आई कितनी यादें
थे बुनते हुए कुछ नए ख्वाब तो सपने टूटने की आवाज़ भी
थे पास कई चेहरे कभी तो कभी अकेलेपन का एहसास भी
तस्वीरों में दिखा आज वो पुराना सूरज और गुज़री रातें
मुड़के देखा बीते लम्हों को तो लौट आई कितनी यादें
था जब सामने वो वक्त तो कद्र शायद थी नहीं
गुज़र गए जो वो पल तो अनमोल आज लगते हैं
वक्त ये भी कीमती होगा,कल ये भी एक दास्ताँ होगी
कहती आज की भी कहानियां कल न थकती ये जुबान होगी
आँखों में नमी सी कर जाएँगी आज यूँही कही बातें
मुड़के देखा बीते लम्हों को तो लौट आई कितनी यादें
wow madam kitna mast likha hai apne,,kitna kuch yaad aa gya ise pdhkar
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