जीता हूँ हर पल मै भी,गुमनाम हूँ बस इन गलियों में कहीं
देखता हूँ ऊँची उन इमारतों को,सोचता हूँ क्या छू पाउँगा उन्हें कभी ?ज़िम्मेदारी मुझपे भी है कि वो बचपन की हंसी कहीं खो ना जाए...
कि आँखों में उसकी कभी आंसू ना आए...
कोशिश करता हूँ हर दिन लड़ता हूँ खुद से जब टूट जाने को दिल करता है
पर कमज़ोर होना तो इन कन्धों ने कभी सीखा ही नहीं
इंतज़ार! फ़िर हर सुबह के साथ जाग जाता है उन कदमों का जो मेरे ठेले तक आज आएँगे
उम्मीद! फ़िर साँस लेती है मन में हर नए दिन के साथ |
हाँ! जीना जानता हूँ मै,मुस्कुराता हूँ मै उन्हे देख कर जिनके पास है बहुत कुछ फ़िर भी खुश नहीं
गुलाम हैं वक्त के जिन्हें खुद के लिए फुरसत नहीं
मुस्कुराना भूल गए हैं जो,सिखाता हूँ उन्हे कि हँसना किसे कहते हैं
जीते हैं कुछ ही पल खुलके अपनी ज़िन्दगी के जो
बताता हूँ उन्हे कि हर दिन-हर पल में जीना किसे कहते हैं |
wow ....
ReplyDeletecongrts aaru 4 dis post